कब समझेंगे हम ?
दुनियाभर के मुस्लिम देशों में जेहाद के नाम पर जो फसाद हुए और हो रहे हैं । पाकिस्तान में बैठे कट्टरपंथी मुस्लिम जिनकी रोटी रोजी हिंदुस्तान को गालियाँ देकर चलती है। या फिर जम्मू कश्मीर में रास्ते से भटके कुछ नौजवान। इन सबके गुनाहों की सजा इस देश के आम मुस्लिम भाइयों को क्यो मिले।
सीरिया ,इराक मिश्र और तुर्की में क्या हो रहा है उससे हमारे अपने भाइयों की देशभक्ति पर शक कैसा?
याद रखो ये सब हमारे में से ही निकले लोग है। और देश के बंटवारे के समय इन्होंने ज़बरदस्ती नही बल्कि मर्जी से इस मुल्क को अपना वतन चुना था।
क्या पाकिस्तान से 4 लड़ाई में इस देश के मुसलमानों की भावना हिंदुस्तान के साथ नही थी। क्या हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई सबने मिलकर ये लड़ाईयां नही लड़ी?
जिस तरह से बाकी देशों में मुस्लिम कट्टरपंथी हररोज जिहाद के नाम पर आतंक को बढ़ावा देते हैं, भारत मे रहने वाले भारतीय मुस्लिमों ने कभी इसकी और रुख किया ? शायद नही।
हाँ अगर देश मे आतंकी पकड़े गए उनमे ज्यादातर मुस्लिम पाए गए
ये सच है। पर देश मे तो पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी ISI के लिए काम करते न जाने कितने हिन्दू जासूस पकड़े गए। फिर उनका क्या?
मानता हूं कि कुछ कट्टरपंथी लोग हमारे चंद नौजवान मुस्लिम भाइयो को गलत रास्ते पर चलने को बरगलाने में कामयाब हुए
पर क्या उसके लिए पूरी मुस्लिम कौम जिम्मेदार है?
किसी एक देवेंद्र सिंह से पूरी सिख या हिन्दू कौम जिममेदार नही हो सकती।
हम सबने मिलकर ही इस मुल्क को आगे बढ़ाया है। तभी दुश्मन हमारा अब तक कुछ भी बिगाड़ नही स्का। लेकिन आज जो माहौल वोट की राजनीति के लिए देश मे मुसलमानों के लिए बना दिया गया है ,और उसके जो परिणाम आये हैं । उनसे पाकिस्तान की मंशा ही पूरी हुई है। वो चाहते थे कि हिन्दू मुस्लिम फसाद हों ताकि भारत का मुसलमान उसकी बात सुने। हमने दंगे कर पाकिस्तान के काम को आसान बना दिया।
हम हर रोज ,हरवक्त मुसलमानों को उनकी देशभक्ति का सबूत मांगते हैं , क्या सोचते हैं कभी कि ये कितनी बड़ी मानसिक पीड़ा है। ये जहर जो हमारे दिलों – दिमाग मे भर दिया गया।
कहा गया कि हिन्दू खतरे में है। कोई पूछे इन जालिमों से कि जब पूरे मुल्क पर मुस्लिम शासक राज करते थे ,तब हिन्दू खत्म नही हुआ तो अब कैसे?
जब तक इस देश मे मुसलमान है तब तक ही आप हिन्दू हैं।
अगर मुसलमान नही होगा तो फिर हम हिन्दू नही बल्कि नाई तेली, धोबी कुम्हार, सैनी, राजपूत, ब्राह्मण, जाट, दलित, बाल्मिकी हो जाएंगे । इसके बाद शुरू होगी वर्चस्व की लड़ाई।
एक तरफ होंगे तथाकतीथ अगड़े और दूसरी और पिछड़े और दलित। संख्या के हिसाब से परिणाम का अंदाजा लगा लो।
समझ लो धर्म एक ही होता है — इंसानायित
जाति भी दो होती हैं— मानव और जानवर
इसलिए लड़ाई भूखमरी, गरीबी , असाक्षरता, असमानता को लेकर
कमेरे और लूटेरे के बीच होनी चाहिए।
न कि हिन्दू मुस्लिम के बीच।
सोचो जरा जब कोई व्यक्ति हस्पताल में पड़ा गम्भीर बीमारी से जूझ रहा होता है और उसकी खून की जरूरत होती है। तब क्या हम ब्लड बैंक से खून हिन्दू या मुसलमान के नाम से लेते हैं ? क्या खून की थैली पर लिखा होता है कि किसका खून है ?
दिल्ली दंगो के दौरान सबसे बड़ी बधाई के पात्र है सिख कौम।
जिसने दंगो के दौरान सारे गुरुघर पीडितों के लिए खोल दिये।
सारा दिन नकली हिंदूवाद का नारा देने वालो को सिख धर्म से सीखना चाहिए कि कैसे मानवता की सेवा की जाती है।
कौन देश भक्त और कौन देशद्रोही । इसकी डिग्री बांटने वाली यूनिवर्सिटी अब बंद हो जानी चाहिये।
क्योंकि देश मे जो लोग 3-3 और 4-5 साल की बच्चियों से रेप कर रहे हैं क्या वो देशद्रोही नही?
जो लोग देश के बैकों का पैसा लेकर भाग गए वो देशद्रोही नही?
और मजे की बात लगभग सारे हिन्दू हैं जो देश का पैसा लेकर भागे।
महात्मा गांधी हो या फिर अन्य नेता ,उनकी हत्याएं किसी मुसलमान ने नही की थी।
मोदी जी बार- बार देश को आर्थिक महाशक्ति बनाने की बात करते हैं क्या ऐसा करना मुमकिन है देश की आबादी का 25 करोड़ लोगों को बाहर रखकर।
इसलिए इस माहौल से आम जन मानस को कोई फायदा नही। निर्दोष मारे जाएंगे । और नेता लोग वातानुकूलित घरों में बैठकर तमाशा देखेंगे। क्योंकि दंगो में वो कभी नही मारे जाते।
आइये सब मिलकर इस जहर को खत्म करें। अपने नौजवानों को सही रास्ते पर डाले। आने वाली नस्लों को एक मजबूत और एकसूत्र में पीरा भारत दे। ताकि हम इस दुनियां को आपसी सद्भाव और शांति का संदेश दे सकें। यही हमारा इतिहास है।
इसमें सबकी भलाई है।