केरल में एक निजी क्लिनिक में काम करने वाली एक डॉक्टर ने मंगलवार को आरोप लगाया कि कोरोनावायरस की अनिवार्य जांच से कथित तौर पर मना करने वाले एक अनिवासी भारतीय मरीज की सूचना अधिकारियों को देने पर क्लिनिक के प्रबंधन ने डॉक्टर को नौकरी से निकाल दिया।
डॉ शीनू श्यामलन ने कहा कि मरीज हाल ही में क्लिनिक आया था और उसमें विषाणु के लक्षण दिख रहे थे। श्यामलन ने कहा, जब उससे विदेश यात्रा के बारे में पूछा गया तो उसने कहा कि वह कतर से लौटा है। लेकिन उसने स्वास्थ्य विभाग को अपनी विदेश यात्रा के बारे में जानकारी नहीं दी थी।
महिला डॉक्टर ने संवाददाताओं को बताया कि जब उक्त व्यक्ति से स्वास्थ्य विभाग को अपनी विदेश यात्रा के बारे में बताने को कहा गया तो उसने मना कर दिया और बोला कि वह कतर वापस जा रहा है। व्यक्ति तेज बुखार से पीड़ित था इसलिए श्यामलन ने चिंतित होकर स्वास्थ्य और पुलिस अधिकारियों को इसकी सूचना दी।
डॉक्टर ने सोशल मीडिया पर लिखा, “जिन अधिकारियों ने मरीज को विदेश जाने दिया उन्हें कोई समस्या नहीं हुई लेकिन मेरी नौकरी चली गई।” उन्होंने आरोप लगाया कि मामले की सूचना पुलिस को देने और घटना के बारे में सोशल मीडिया और टीवी के जरिए लोगों को बताने के लिए क्लिनिक के प्रबंधन ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया।
डॉक्टर ने कहा कि प्रबंधन की दलील है कि यदि लोगों को यह पता चल गया कि क्लिनिक में कोरोनावायरस के संदिग्ध मरीज आ रहे हैं तो कोई भी इलाज कराने नहीं आएगा। निजी स्वास्थ्य क्लिनिक के प्रबंधन की ओर से इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि त्रिशूर के जिला चिकित्सा अधिकारी (डीएमओ) ने कलक्टर से शीनू श्यामलन की शिकायत की थी और आरोप लगाया था कि श्यामलन स्वास्थ्य अधिकारियों को बदनाम कर रही हैं। सूत्रों ने कहा कि डीएमओ ने कलक्टर को सूचित किया था कि श्यामलन से मरीज के बारे में जानकारी मिलने के बाद स्वास्थ्य अधिकारियों ने मरीज को विदेश जाने से रोकने की कोशिश की थी।