जैसा लाहौरी आदेश सुखना कैचमेंट एरिया को लेकर पास हुआ है। बिना जमीनी हकीकत जाने। आदेश के बाद तथाकतीथ वरिष्ठ वकील के दफ्तर से जिस तरह पत्रकारो की फ़ोन कर निर्णय छपाने की गुहार लगाई। उससे तो कुछ बात समझ से परे।
हजारों लोग नक्शे पास कराकर अपने मकानों में रह रहे हैं।
कहते है कि लेक कैचमेंट एरिया 1 km तक और सुखना वेटलैंड 2.75 km तक है।
जज साहिब फिर क्यो न हाइकोर्ट, सचिवालय, दोनों राज्यपाल हाउस, सेक्टर 4 , 5 ,9 , mla होस्टल्स
और खास तौर से उन वकीलों के घर पहले गिरा दिए जाएं
जो इस केस को लड़ रहे थे और बड़े पर्यावरण वादी बने फिर रहे हैं
उनसे पूछो की क्या तुमहारा घर इसी एरिया में नही पड़ता।
सेक्टर 4- 5 तो एक km और 2.75 km के दायरे से बाहर नही।
फिर वकीलों के चैंबर भी गिरा दो।
राज्यपाल निवासों में जो पिछले 30 साल में कुछ बना ,उसे भी गिरा दो।
जरा सोचो कि सुखना wet land 2.75 km अगर सुखना के चारो और देखें तो फिर क्या बचेगा।
अगर ऊपर लिखी सब बिल्डिंग नही गिरा सकते तो
फिर एक छोटे से टुकड़े पर नक्शा पास करा , गरीबो द्वारा बनाये घर कैसे गिरा दोगे।
क्यो इस देश मे अफरा तफरी का माहौल पैदा करने पर लगे हैं।
सेक्टर 4 और पांच में ये पेटिशन दाखिल करने वाले ये रहीश वकील रहतें हैं।
इनके ठीक सामने सुखना का रिहाइशी इलाका।
ये रहीश लोगो की ये ही परेशानी है।
ये नही चाहते कि मिडिल क्लास का कोई भी आदमी जिसकी औकात चंडीगढ़ में घर बनाने की नही है, वो इनके सामने इलाके में रहे।
ये चाहते है कि सुखना सिर्फ इनके प्रयोग के लिए है। इनके सेक्टर की शोभा बढ़ाने के लिए है। ये जब सैर करें तो सुखना पर कोई नही हो।
जजों को पार्टियों में बुलाकर उनको इस केस बारे लगातार गलत फीडिंग करते आये हैं।
अब हाई कोर्ट खुद फंस गई। क्योंई इसकी नई बिल्डिंग तो इनके बताए सुखना कैचमेंट एरिया में है।
दोनों गवर्नर हाउस भी।
चलाओ बुलडोजर।