हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने कहा कि महापुरुषों की जयंतियों को शैक्षणिक और अन्य संस्थानों में उनके जीवन और शिक्षाओं पर आधारित विभिन्न कार्यक्रम आयोजित करके मनाया जाना चाहिए ताकि लोगों में काम करने की भावना उत्पन्न हो सके। उन्होंने कहा कि इस प्रकार हम उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि दे सकते हैं।
श्री मनोहर लाल आज पंचकूला में विधायकों के साथ तीन-दिवसीय पूर्व-बजट परामर्श बैठक 2020-21 के दूसरे दिन स्वामी दयानंद सरस्वती जी की 197वीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित एक कार्यक्रम में बोल रहे थे। इस अवसर पर हरियाणा विधानसभा अध्यक्ष श्री ज्ञान चंद गुप्ता के अतिरिक्त राज्य के मंत्री और विधायक भी उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती एक बहुमुखी व्यक्तित्व के धनी थे और उन्होंने धर्म, शिक्षा, आध्यात्मिकता और महिला सशक्तीकरण के क्षेत्र में कई पहल की। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद जी ने देश के स्वतंत्रता संग्राम में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। उन्होंने कहा कि नेताजी सुभाष चंद्र बोस और वीर सावरकर जैसे कई अन्य महापुरुषों ने भी विभिन्न अवसरों पर अपने भाषणों में लोगों के बीच स्वतंत्रता की लौ जगाने में उनके योगदान को स्वीकार किया है।
उन्होंने कहा कि महापुरुषों का हमारे समाज में एक विशेष महत्व है और समय-समय पर उनकी जयंतियां मनाई जाती हैं ताकि युवा पीढ़ी उनके जीवन से प्रेरणा ले सके। इसी श्रृंखला में, राज्य सरकार द्वारा भी महापुरुषों की जयंतियों को उचित रूप से मनाने के लिए राज्य स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इनमें श्री गुरु रविदास जयंती, महर्षि वाल्मीकि जयंती, कबीर जयंती, श्री गुरु नानक देव जी और दसवें सिख गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी का प्रकाशोत्सव प्रमुख हैं।
मुख्यमंत्री ने विभिन्न समुदायों से अपील की कि वे महापुरूषों की जयंतियों को उस दिन उनके जीवन और शिक्षाओं पर आधारित कार्यक्रमों का आयोजन करके मनाएं।
अपने स्वागत भाषण में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव और सूचना, जनसंपर्क एवं भाषा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव श्री राजेश खुल्लर ने स्वामी दयानंद सरस्वती जी के उच्च मूल्यों और शिक्षाओं को स्मरण करने उपरांत, विधायकों के साथ बजट-पूर्व परामर्श बैठक 2020-21 के दूसरे दिन की कार्यवाही शुरू करने के लिए मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने राजनीतिक और सामाजिक रूप से देश को एक नई दिशा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
श्री खुल्लर ने बजट पूर्व परामर्श बैठक का उल्लेख करते हुए कहा कि यह एक सुखद संयोग है कि राज्य के बजट को अंतिम रूप देने से पहले स्वामी दयानंद सरस्वती जी की 197वीं जयंती पर विधायकों के साथ यह बैठक आयोजित की जा रही है। उन्होंने कहा कि संभवत: देश की लोकतांत्रिक प्रणाली में यह अपनी तरह की अनूठी पहल है।
इससे पूर्व, इस अवसर पर बोलते हुए आचार्य जयवीर वैदिक ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती जी 1857 की क्रांति के दौरान स्वतंत्रता सेनानियों के लिए मुख्य मार्गदर्शकों में से एक थे। उन्होंने कहा कि स्वामी जी ने हमेशा मानवता, वेदों और आपसी सद्भाव के लिए प्रचार किया। समाज में महिलाओं के उत्थान के लिए उनके द्वारा किए गए कार्यों के परिणामस्वरूप ही आज महिलाएं पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम कर रही हैं।
इससे पूर्व गुरुकुल, कुरुक्षेत्र के श्री जयपाल आर्य और श्री जगत वर्मा ने स्वामी दयानंद सरस्वती जी के जीवन और शिक्षाओं पर आधारित धार्मिक भजन प्रस्तुत किए।