गुजरात विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी (AAP) भाजपा को कड़ी चुनौती देने के तमाम प्रयास कर रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक AAP ने भाजपा के पैटर्न पर पन्ना परिवार प्रमुख (panna parivar pramukh strategy) और ग्राम समितियों के माध्यम से संगठन को मजबूत करने की शुरुआत की है। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में AAP भाजपा का मुकाबला करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा रही है। रिपोर्ट के मुताबिक भाजपा के जमीनी संगठन से प्रेरित AAP ने पन्ना परिवार प्रमुख और ग्राम समितियों में 50 वालेंटियर्स को शामिल किया है। इनकी भूमिका जमीनी स्तर पर संगठन को मजबूत बनाना है। पीएम मोदी और अरविंद केजरीवाल (फाइल फोटो-PTI) क्या है AAP की रणनीति गुजरात की चुनावी राजनीति में AAP भले ही एक नई दावेदार है, लेकिन पंजाब विधानसभा चुनाव में मिली प्रचंड जीत से उत्साहित आम आदमी पार्टी प्रधानमंत्री मोदी के गृह राज्य में भी ताल ठोक रही है। खबर के मुताबिक AAP के एक वरिष्ठ नेता ने कहा की साल के अंत में होने वाले विधानसभा चुनाव के मद्देनजर आप अपना जमीनी संगठन मजबूत करने पर काम कर रही है। इसी कड़ी में पन्ना परिवार प्रमुख और ग्राम समितियों में 50 स्वयंसेवकों को शामिल किया गया है।
10 साल बाद भाजपा की राह पर AAP बता दें कि भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने करीब 10 साल पहले पार्टी प्रमुख रहने के दौरान पन्ना प्रमुख की भूमिका को समझा था। उन्होंने बूथ लेवल पर जमीनी संगठन को मजबूत करने के मकसद से पन्ना प्रमुख को तरजीह दी थी। AAP भी इसी पैटर्न पर गुजरात में काम कर रही है। आप के संयुक्त राष्ट्रीय महासचिव ईसुदान गढवी ( Isudan Gadhvi) के मुताबिक AAP पन्ना परिवार प्रमुख की नियुक्तियां कर रही है। इसका मकसद पन्ना यानी मतदाता सूची के हर पेज को कवर करना होगा। यानी इस रणनीति के तहत AAP मतदाता सूची में शामिल हर वोटर तक पहुंचने का प्रयास करेगी। AAP कर रही माइक्रो मैनेजमेंट दिलचस्प है कि भाजपा ने आज से करीब 10 साल पहले 2012 में पन्ना प्रमुख या पेज कमेटी मॉडल की शुरुआत की थी। अब इसी पैटर्न पर AAP के पन्ना परिवार प्रमुख की नियुक्ति के तहत मतदाता सूची के हर पेज पर एक प्रभारी और सदस्यों को रखा गया है। पन्ना परिवार प्रमुख बूथ लेवल पर काम करेंगे। इससे संगठन को मजबूत बनाने में मदद मिलेगी। पन्ना परिवार प्रमुख और सदस्य आप परिवार (AAP parivaar) में शामिल होंगे और वह पार्टी के पक्ष में मतदान करेंगे। गढवी का कहना है कि AAP माइक्रो मैनेजमेंट पर काम कर रही है और डोर टू डोर कैंपेन के तहत मतदाताओं को जागरूक करने का प्रयास कर रही है। गुजरात में AAP एक अच्छा विकल्प बता दें कि भाजपा की अभेद्य दुर्ग के रूप में मशहूर गुजरात में सियासी बहुमत हासिल करना AAP के लिए इतना आसान नहीं रहने वाला, क्योंकि गुजरात में 20 साल से अधिक समय से भाजपा की सत्ता है। AAP का दावा है कि अन्य दल जातिगत समीकरण में भरोसा करते हैं, लेकिन AAP सार्वजनिक समीकरण पर भरोसा करती है और ऐसी माइक्रो प्लानिंग से बीजेपी नहीं जीत सकेगी। आप नेता गढवी का मानना है कि भाजपा कार्यकर्ताओं का मोहभंग हो रहा है और बीजेपी नेतृत्व से मोहभंग के कारण AAP एक अच्छे विकल्प के रूप में उभर सकती है। भाजपा कार्यकर्ता भी तंग आ चुके हैं रेवड़ी कल्चर पर पीएम मोदी के बयान के संदर्भ में गढवी ने कहा कि भाजपा एक मजबूत संगठन है इसमें कोई संदेह नहीं लेकिन AAP का मानना है कि भाजपा का दौर बीत चुका है। भाजपा कार्यकर्ता भी पार्टी से तंग आ चुके हैं भाजपा कार्यकर्ताओं को यह समझ आ गया है कि बीजेपी के शीर्ष नेता उनका पूरा फायदा उठाते हैं और जब कार्यकर्ताओं की बात आती है तो नेता उन्हें मुफ्त रेवड़ी या फ्री बी (freebie) बताकर लाभ से वंचित रखते हैं।