पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार पर 100-100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया

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सुखना लेक के कैचमेंट एरिया में निर्माण की अनुमति देने और कैचमेंट को हुए नुकसान के लिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब और हरियाणा सरकार पर 100-100 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है। साथ ही कैचमेंट से निर्माण गिराने और पीड़ितों को 25-25 लाख मुआवजा राशि जारी करने के भी पंजाब सरकार को आदेश दिए हैं।

सुखना झील का अस्तित्व बचाने के लिए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने 2009 में खुद संज्ञान लेकर सुनवाई आरंभ की थी। तब से मामला हाईकोर्ट में विचाराधीन था। जस्टिस राजीव शर्मा ने इस वर्ष इस केस को निपटाने का निर्णय लिया और केवल दो सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया।

अब हाईकोर्ट ने सभी निर्णयों का अध्ययन करने के बाद अपना फैसला सुनाते हुए सुखना के कैचमेंट से सभी अवैध निर्माण गिराने के पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ प्रशासन को आदेश दिए हैं। जिन निर्माणों के लिए मंजूरी ली गई थी, उनके मालिकों को मुआवजे के तौर पर 25-25 लाख रुपये और निकट किसी स्थान पर रीलोकेट करने के भी हाईकोर्ट ने आदेश दिए हैं।

हाईकोर्ट ने आदेश दिए कि जुर्माने की राशि पर्यवरण, वन व जलवायु परिवर्तन मंत्रालय को जमा करवानी होगी। इस राशि से सुखना के कैचमेंट एरिया को मंत्रालय को एक वर्ष के भीतर रिस्टोर करना होगा। हाईकोर्ट के आदेश के तहत सर्वे ऑफ इंडिया द्वारा 2004 में जारी नक्शे को स्वीकार करते हुए इसके अतिरिक्त हुए सभी निर्माणों को गिराने आदेश हैं। इसके साथ ही हाईकोर्ट ने नयागांव और माता मनसा देवी कॉम्प्लेक्स के मास्टर प्लान को रद्द करते हुए सर्वे ऑफ इंडिया में तय कैचमेंट एरिया को स्वीकार कर कर लिया है।

हाईकोर्ट ने अपने आदेश में उन अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की बात कही है जिन्होंने कैचमेंट एरिया होने के बावजूद वहां पर निर्माण की अनुमति दी है। हाईकोर्ट ने हरियाणा और पंजाब के मुख्य सचिव और चंडीगढ़ प्रशासक के सलाहकार को वरिष्ठ सचिव स्तर के अधिकारियों की एसआईटी गठित करने के आदेश दिए। यह कमेटी तीन माह में जांच पूरी करेगी और मंजूरियों के लिए जिम्मेदारी तय की जाएगी। मंजूरियों के लिए जिम्मेदार अधिकारी पर उसके बाद कानून के अनुरूप एक्शन लेना होगा।

असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया चेतन मित्तल ने बताया कि हाईकोर्ट ने सर्वे ऑफ इंडिया के 2004 के नक्शे को स्वीकार किया है जिसके तहत कैंबवाला, कांसल और सकेतड़ी के एरिया को सुखना कैचमेंट एरिया में शामिल किया गया था। इस तरह सुखना लेक का कुल कैचमेंट एरिया 42.07 स्कवायर किलोमीटर तय किया गया था। इसमें 29.08 स्कवायर किलोमीटर चंडीगढ़ में, 10.22 स्कवायर किलोमीटर हरियाणा में और 2.77 स्कवायर किलोमीटर पंजाब के तहत था। इसमें से पंजाब के एरिया में सबसे ज्यादा निर्माण कार्य हुए थे।

हाईकोर्ट ने केंद्र सरकार को आदेश दे दिए हैं कि वे सुखना लेक के हरियाणा और पंजाब में पड़ने वाले एक किलोमीटर के दायरे को इको-सेंसिटिव जोन घोषित करे। चंडीगढ़ प्रशासन को तीन महीनों में सुखना लेक को वेटलैंड घोषित करने के भी आदेश दिए हैं। साथ ही पंजाब और हरियाणा को उनके क्षेत्र में आने वाले कैचमेंट एरिया को सुखना वेटलैंड घोषित कर इसकी तीन महीनों में नोटिफिकेशन जारी करने के आदेश दे दिए हैं।

हाईकोर्ट ने चंडीगढ़ प्रशासन को आदेश दे दिए हैं कि वह सुखना लेक का दायरा बढाकर 100 से 150 हेक्टर तक करे इसके लिए चाहे और खुदाई की जरूरत हो तो वह की जाए। लगातार डी-सिल्टिंग की जाए ताकि सुखना लेक को बचाया जा सके। इसके साथ ही पंजाब और हरियाणा को आदेश दिए हैं कि वह यह सुनिश्चित करे कि कांसल, कैंबवाला और सकेतड़ी की ओर से लेक तक सीवर का पानी न आने दे। साथ ही सुखना से जलीय वनस्पति को छह महीनों में साफ करने के आदेश दिए हैं।

जस्टिस राजीव शर्मा ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के शबद ‘पवन, पानी, धरती, आकाश, घर मंदर हर बानी’ के साथ अपने फैसले का समापन किया। इसके अनुसार वायु, जल, पृथ्वी और आकाश यह ईश्वर का घर है और यही मंदिर है।

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने हरियाणा, पंजाब और चंडीगढ़ की सभी एमसी को आदेश दिया है कि सभी पालतू कुत्ते रजिस्टर किए जाएं और उन्हें टोकन दिया जाए। इसके साथ ही मालिक को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनका मल सड़क पर न रहे। वह उसे साफ करने की व्यवस्था भी करें।

हाईकोर्ट ने बिना रजिस्ट्रेशन के कुत्तों की ब्रीडिंग को भी बैन कर दिया। साथ ही सभी एमसी को आदेश दिया कि वह अपने एरिया में 4-5 डॉग पॉन्ड बनाएं और यहां पर लावारिस कुत्तों को रखा जाए। कोर्ट ने कहा कि वहां का केयरटेकर कुत्तों का ध्यान रखे। साफ सफाई के साथ ही उनकी अच्छी डाइट का भी इंतजाम हो।

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