लोगों को केवल इसलिए गद्दार, देशद्रोही नहीं कहा जा सकता क्योंकि वह एक कानून का विरोध कर रहे हैं-बॉम्बे उच्च न्यायालय

0
671

बॉम्बे उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ शांतिपूर्ण आंदोलन करने वालों पर टिप्पणी करते हुए कहा कि उन्हें केवल इसलिए गद्दार या देशद्रोही नहीं कहा जा सकता क्योंकि वह एक कानून का विरोध कर रहे हैं। अदालत ने यह टिप्पणी गुरुवार को सीएए के खिलाफ आंदोलन के लिए पुलिस द्वारा अनुमति न दिए जाने के खिलाफ दायर की गई याचिका पर सुनवाई करते हुए दी।

पीठ ने कहा, ‘इस तरह के आंदोलन से सीएए के प्रावधानों की अवज्ञा का कोई सवाल ही नहीं पैदा होता। इसलिए अदालत से ऐसे व्यक्तियों के शांतिपूर्ण तरीके से आंदोलन शुरू करने के अधिकार पर विचार करने की अपेक्षा की जाती है। यह अदालत कहना चाहती है कि इन लोगों को केवल इसलिए गद्दार, देशद्रोही नहीं कहा जा सकता क्योंकि वह एक कानून का विरोध करना चाहते हैं। यह केवल सीएए की वजह से सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन का कार्य होगा।’

पीठ ने बीड जिले के अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (एडीएम) और बीड में मजलगांव शहर पुलिस द्वारा पारित दो आदेशों को रद्द कर दिया। पुलिस ने आंदोलन की इजाजत न देने के लिए एडीएम के आदेश का हवाला दिया था। पीठ ने कहा, ‘भारत को प्रदर्शन के कारण स्वतंत्रता मिली जो अहिंसक थे और आज की तारीख तक इस देश के लोग अंहिसा का रास्ता अपनाते हैं। हम बहुत भाग्यशाली है कि इस देश के लोग अब भी अहिंसा में विश्वास रखते हैं।’

पीठ ने कहा, ‘वर्तमान मामले में याचिकाकर्ता और उनके सहयोगी अपना विरोध जताने के लिए शांतिपूर्ण प्रदर्शन करना चाहते हैं। ब्रिटिश काल में हमारे पूर्वजों ने स्वतंत्रता और मानव अधिकारों के लिए संघर्ष किया और आंदोलन के पीछे की सोच के कारण हमने अपना संविधान बनाया। यह कहना दुर्भाग्यपूर्ण होगा लेकिन लोगों को अपनी ही सरकार के खिलाफ आंदोलन करने की आवश्यकता है, लेकिन केवल इस आधार पर आंदोलन को दबाया नहीं जा सकता।’

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here