किसानों के मददगार बने भारतीय कबड्डी दल के खिलाड़ी, कोई धो रहा कपड़ा तो कोई पका रहा लंगर 

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भारतीय कबड्डी दल के खिलाड़ियों ने अनोखे अंदाज में आंदोलनरत किसानों के मददगार बनकर सामने आए हैं. इसमें पूर्व कप्तान से लेकर इंटरनेशनल प्लेयर तक शामिल हैं. कोई किसानों के कपड़े धो रहा है तो कोई लंगर बना रहा है.

दिल्ली और हरियाणा के सिंघु बॉर्डर (Singhu Border) और टिकरी बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन (Farmers Protest) में तमाम रंग भरे जा रहे हैं. इनमें से एक रंग भारतीय कबड्डी टीम के खिलाड़ी भर रहे हैं. भारतीय कबड्डी टीम के पूर्व कप्तान मंगी बग्गा किसानों के कपड़े धोते नज़र आ रहे हैं तो कुछ अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी लंगर में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.  ये खिलाड़ी दूसरे देशों की टीमों को धोते रहे, लेकिन सिंघु बॉर्डर पर वे अभी अपनी टीम के साथ प्रदर्शनकारी किसानों के कपड़े धो रहे हैं. उनकी ही कप्तानी में 2010 में भारत ने पाकिस्तान को हरा कर 2010 का वर्ल्ड कप जीता था.

इन कबड्डी खिलाड़ियों ने अपने घर से वाशिंग मशीनें लाकर यहां लगाई हैं. खिलाड़ी पूरे इंतजाम के साथ कपड़ों के थैलों पर नंबर लिख कर रखते हैं और उसी हिसाब से उन्हें धोते और सुखाते हैं ताकि किसानों के कपड़ों की अदला बदली न हो जाए. भारतीय कबड्डी टीम के पूर्व कप्तान मंगी बग्गा कहते हैं, “सरहद पर जानेवाला जवान, खिलाड़ी, किसान सब गांव से आते हैं. हम ये अपने गांव और अपनी मिट्टी के लिए कर रहे हैं. यहां हम एक सेवादार के तौर पर काम कर रहे हैं. हम यहां कोई स्टार खिलाड़ी नहीं हैं.”

कबड्डी के अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी मनजिंदर सिंह विश्व भर में अपनी चुश्ती-फ़ूर्ति से विरोधी खिलाड़ियों के छक्के छुड़ाते रहे हैं लेकिन सिंघु बॉर्डर पर पिछले 14 दिनों से लंगर छका रहे हैं और दिनभर सेवा करके यहीं ज़मीन पर सो जाते हैं. मनजिंदर सिंह भारत के अलावा विदेशी क्लब के लिए कबड्डी खेल चुके हैं. विश्व के सर्वश्रेष्ठ कबड्डी खिलाड़ियों में इनकी गिनती होती है. मनजिंदर की मानें तो वो यहां एक किसान के बेटे के रूप काम कर रहे हैं. यहां उनके साथ दूसरे कबड्डी खिलाड़ी भी सेवाएं दे रहे हैं. कोई साफ़ सफ़ाई कर रहा है तो कोई किसानों को पानी पिला रहा है.

यहां ये अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी सिर्फ़ कपड़े या लंगर में ही नहीं स्टेज से लेकर साफ़ सफ़ाई के काम भी कर रहे हैं. इन खिलाड़ियों ने अपने नाम सभी टूर्नामेंट से वापस ले लिए हैं. इनका कहना है कि जब तक ये किसान यहां बैठेंगे तब तक ये खिलाड़ी इनकी सेवा करेंगे. साथ ही साथ इन खिलाड़ियों का कहना है कि उन्होंने देश को कई मेडल और कप जिता कर भारत का नाम पूरे विश्व में रौशन किया है और अगर ऐसे में ये कहा जाता है कि ये किसान या प्रदर्शन करने वाले खालिस्तानी या उग्रवादी हैं तो उन्हें बेहद तकलीफ़ होती है.

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