कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा किसान संगठन, ‘मनमाने कानूनों’ को रद्द किए जाने की मांग की

0
676

Farmers’ Protests Against Farm Laws 2020: भारतीय किसान यूनियन भानु गुट की तरफ से केंद्र सरकार के तीनों कृषि कानूनों के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है. इस याचिका में इन कानूनों को मनमाना और अवैध बताते हुए इन्हें रद्द करने की मांग की गई है.

Farmers’ Protests : कृषि कानूनों का मुद्दा फिर सुप्रीम कोर्ट में उठा है. शुक्रवार को कोर्ट में एक याचिका दाखिल कर इन कानूनों को रद्द किए जाने की मांग की है. भारतीय किसान यूनियन भानु गुट की तरफ से तीन किसान बिल को रद्द करने की मांग वाली याचिका दाखिल की गई है. एडवोकेट एपी सिंह ने यह याचिका दाखिल की है. याचिका में तीनों कानूनों को असंवैधानिक करार कर रद्द करने की मांग की गई है.

हालांकि, इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने किसान कानूनों को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था. अब यूनियन ने इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल की है. अर्जी में कहा गया है कि ‘ये अधिनियम ‘अवैध और मनमाने’ हैं. इनसे कृषि उत्पादन के संघबद्ध होने और व्यावसायीकरण के लिए मार्ग प्रशस्त होगा.’ याचिकाकर्ता ने कहा है कि ‘कानून असंवैधानिक हैं क्योंकि किसानों को बहुराष्ट्रीय कंपनियों के कॉरपोरेट लालच की दया पर रखा जा रहा है.’

कोर्ट में याचिका दाखिल करने के अलावा भारतीय किसान यूनियन ने रेल रोको आंदोलन भी शुरू करने की धमकी दी है. उनका कहना है कि सरकार ने बिना जरूरी विचार-विमर्श किए ही ये कानून बना दिए हैं.

बता दें कि जून में केंद्र सरकार तीन नए कृषि कानूनों- कृषक उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सरलीकरण) विधेयक, 2020, कृषि (सशक्तिकरण और संरक्षण) कीमत अश्वासन और कृषि सेवा करार विधेयक, 2020 और आवश्यक वस्तु संशोधन विधेयक, 2020- का ऑर्डिनेंस लेकर आई थी. सितंबर में इनपर बिल पास कर दिया गया. जिसके बाद जल्द ही राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के बाद ये कानून बन गए. किसान अध्यादेश लाए जाने के बाद से इसका विरोध कर रहे हैं. लेकिन कानून बनाए जाने के बाद इनका विरोध तेज हुआ है.

पंजाब में विरोध-प्रदर्शन जब सफल नहीं हुआ तो पंजाब और हरियाणा सहित कई राज्यों के किसानों ने ‘दिल्ली चलो अभियान’ के साथ दिल्ली का रुख किया. लेकिन पहले हरियाणा और फिर दिल्ली पुलिस ने उन्हें दिल्ली में प्रवेश करने नहीं दिया है. किसान दिल्ली के कई प्रवेश बिंदुओं पर को जाम करके बैठे हुए हैं. उनकी कानूनों पर पांच राउंड में बातचीत भी हो चुकी है लेकिन कोई नतीजा नहीं निकला है.

सरकार ने उन्हें कानूनों में संशोधन का प्रस्ताव दिया था, लेकिन उन्होंने इससे इनकार कर दिया था. किसानों ने कानून वापस न लिए जाने की स्थिति में 12 और 14 दिसंबर को इससे भी बड़े स्तर पर विरोध-प्रदर्शन करने का ऐलान किया है.

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here