जान तो डाली।
हरियाणा में जब से शैलजा प्रदेश अध्यक्ष बनी, तब से अभी तक कांग्रेस में बगावत के सुर कुछ कम से हैं।
आशा के विपरीत शैलजा ने अपनी गतिविधियों को बनाये रखा।
वो जहाँ भी गयी प्रदेश में, लगभग सभी कांग्रेसी नेता हाजिर रहे।
इससे लगता है कि पार्टी में धीरे धीरे उनकी पकड़ मजबूत होती जा रही है।
सभी कांग्रेसियों को पता है कि शैलजा अशोक तंवर नही। जितनी पकड़ हाई कमान में दूसरे कदावर नेताओं की है ,उससे कई ज्यादा
शैलजा की है।
वैसे भी कांग्रेसी अलग अलग गुटों से तंग आ चुके थे।
कुछ नेता तो यहाँ तक धमकी देने लग गए थे कि हम हैं तो कांग्रेस है। कांग्रेस पार्टी की बजाय ,इन नेताओं ने अपने कद उच्चा करने में बड़ी जोर आजमाइश की।
विधानसभा चुनाव में मिली 31 सीटें इनके प्रयासों से कम बल्कि बीजेपी की नाकामियों और जेजेपी के बीजेपी के खिलाफ आक्रामक प्रचार की वजह से आई थी।
खैर, इन सब तथ्यो को कौन मानता है?
लेकिन अब लगता है कि कम से कम एक ऐसा नेता तो शैलजा के रूप में है जो खुद से ज्यादा पार्टी की बात करती है।
नए घटनाक्रमों में एक बात और देखने को मिली कि पिछले कई महीनों से कांग्रेस के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी व शैलजा ने मिलकर अनेको मुद्दों पर कांग्रेस प्रदेश मुख्यालय पर सयुंक्त प्रेस वार्ता की।
अगर ये जोड़ी आगे तक काम करती रही तो हो सकता है कि बीजेपी के लिए आने वाले समय मे मुश्किल खड़ी कर दे।
दोनों ही हालात के पारखी हैं। और पार्टी को खुद से ज्यादा अहमियत देते हैं।
सूत्रों के अनुसार जल्दी ही ये जुगलबंदी प्रदेश में सरकार के खिलाफ एक बड़ी जनता मुहिम चलाने वाली है। जिसका ब्लू प्रिंट तैयार हो रहा है।
वैसे भी जेजेपी का बीजेपी को समर्थन के बाद मैदान खाली है ।
देखना होगा कि ये दोनों मिलकर जनता का विश्वास जीत पाएंगे या नही।