राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने ‘राष्ट्रवाद’ के मसले पर बड़ा बयान दिया है, उन्होंने कहा कि राष्ट्रवाद जैसे शब्द में ‘नाजी’ और ‘हिटलर’ की झलक दिखाई पड़ती है इसलिए ‘राष्ट्रवाद’ की जगह राष्ट्र या राष्ट्रीय जैसे शब्दों को ही प्रमुखता से इस्तेमाल करना चाहिए, झारखंड की राजधानी रांची एक कार्यक्रम में संघ प्रमुख ने कहा कि भारत को बनाने में हिंदुओं की जवाबदेही सबसे ज्यादा है, हिंदू अपने राष्ट्र के प्रति और जिम्मेवार बनें और भारत को विश्वगुरु बनाना सबका ध्येय होना चाहिए।
भागवत ने कहा कि दुनिया के सामने इस वक्त ISIS, कट्टरपंथ और जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दे बड़ी चुनौती हैं, दुनिया के सामने जो बड़ी समस्याएं हैं, उनसे सिर्फ भारत ही निजात दिलवा सकता है ऐसे में हिंदुस्तान को दुनिया का नेतृत्व करने की सोचना चाहिए, देश की एकता ही असली ताकत है, इसका आधार अलग हो सकता है लेकिन लक्ष्य एक ही है।
साथ ही मोहन भागवत ने ये भी कहा कि हिंदुओं को संघ की शाखा में जरूर आना चाहिए, इससे उनका आत्मबल बढ़ेगा। वे शारीरिक और मानसिक रूप से मजबूत बनेंगे, उन्होंने चेताया कि शाखा में टिकट पाने की लालसा से आने वाले इससे दूर रहें, यहां कोई लोभ-लालच सिद्ध नहीं होगा।
गौरतलब है कि संघ प्रमुख मोहन भागवत पांच दिनों के दौरे पर बुधवार शाम ही राजधानी रांची पहुंचे थे, जहां हवाई अड्डे पर क्षेत्र प्रचारक रामदत्त चक्रधर, सह प्रांत प्रचारक दिलीप कुमार, सह प्रांत कार्यवाह राकेश लाल, प्रांत संपर्क प्रमुख राजीव कमल बिट्टू और सह विभाग संघचालक विवेक भसीन ने उनका स्वागत किया था।
इससे पहले दिल्ली में एक कार्यक्रम में दिल्ली चुनावों में बीजेपी की हार पर मोहन भागवत ने कहा था कि चुनावों में भारतीय जनता पार्टी की हार को हिंदुत्व की हार के तौर पर नहीं देखा जाना चाहिए, हिंदुत्व का मतलब उन लोगों को शिक्षित करना है जिन्होंने झूठे प्रचार के जरिए हिंदू धर्म को बदनाम किया है, भागवत ने भाजपा की चुनावी राजनीति और हिंदुत्व के बीच अंतर कर देखने की बात की थी, उन्होंने कहा कि सरकारें आएंगी और जाएंगी लेकिन सबका ध्यान समाज के बदलाव पर होना चाहिए।






















