ममता बनर्जी के खिलाफ शिकायत करने वाली अर्चना अग्निहोत्री ने अमर उजाला से कहा कि भारत एक शांतिप्रिय लोकतांत्रिक देश है। यहां किसी एक वर्ग को किसी दूसरे के खिलाफ हिंसा करने की छूट नहीं दी जा सकती। किसी नेता से इस तरह का बयान देना भी अपेक्षित नहीं है जिससे समाज में हिंसा भड़के…
ममता बनर्जी के खिलाफ शिकायत करने वाली अर्चना अग्निहोत्री ने अमर उजाला से कहा कि भारत एक शांतिप्रिय लोकतांत्रिक देश है। यहां किसी एक वर्ग को किसी दूसरे के खिलाफ हिंसा करने की छूट नहीं दी जा सकती। किसी नेता से इस तरह का बयान देना भी अपेक्षित नहीं है जिससे समाज में हिंसा भड़के। लेकिन मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने जिस तरह सीधे-सीधे भाजपा के खिलाफ जिहाद छेड़ने की बात कही है, यह एक संप्रदाय के लोगों को दूसरे संप्रदाय के खिलाफ भड़काने की साजिश है और इसे किसी कीमत पर स्वीकार नहीं किया जा सकता।
उन्होंने कहा कि लोकतांत्रिक सिस्टम में जनता को अपनी पसंद के आधार पर कोई राजनीतिक दल चुनने या नकारने का अधिकार होता है। लेकिन केवल राजनीतिक मतभेद के कारण किसी दूसरे दल के खिलाफ जिहाद छेड़ने की बात हिंसक विचारधारा है जिसे भारत में स्वीकार नहीं किया जा सकता।
क्या कहा था ममता ने
पश्चिम बंगाल के बर्धमान में एक जनसभा को संबोधित करते हुए ममता बनर्जी ने 21 जुलाई से भाजपा के खिलाफ जिहाद छेड़ने की बात कही थी। 21 जुलाई को ऑल इंडिया तृणमूल कांग्रेस वामपंथी शासन के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं के मारे जाने को याद करते हुए शहीद दिवस मनाती है। इस दिन पार्टी धर्मतला में एक बड़ी जनसभा का आयोजन करती है। ममता ने इसी सभा से भाजपा के खिलाफ जिहाद शुरू करने की बात कही थी।
ममता बनर्जी के इस बयान के बाद राज्य के राज्यपाल जगदीप धनखड़ ने एक प्रेस वक्तव्य जारी कर इसे दुर्भाग्यपूर्ण बताया था। उन्होंने मुख्य सचिव को बुलाकर मुख्यमंत्री के इस बयान को वापस लेने की बात भी कही थी। पश्चिम बंगाल भाजपा नेता शुभेंदु अधिकारी ने ममता के इस बयान के बाद राज्यपाल से मुलाकात कर राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की थी। हालांकि, विवाद बढ़ने के बाद ममता बनर्जी ने इस बयान का गलत अर्थ लिए जाने की बात कही थी।
(Amar Ujala)