नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का देशभर में विरोध हो रहा है। कांग्रेस और उसकी सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) जहां लगातार इस कानून का विरोध करते हुए इसे संविधान विरोधी बता रही है। वहीं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की पार्टी शिवसेना ने सीएए का समर्थन किया है। जिसे लेकर एक बार फिर शिवसेना और एनसीपी आमने आ गए हैं। माना जा रहा है कि दोनों के रिश्तों में दरार आ सकती है। बता दें कि महराष्ट्र में शिवसेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन की सरकार है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ठाकरे ने मंगलवार को कहा कि सीएए के लागू होने से किसी को परेशान होने की जरूरत नहीं है। उन्होंने कहा, ‘सीएए और एनआरसी दोनों अलग-अलग हैं और एनपीआर अलग है। किसी को भी सीएए लागू होने से चिंता करने की जरूरत नहीं है। इसमें एनआरसी नहीं है और हम राज्य में इसे लागू नहीं करेंगे।’
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने आगे कहा, ‘यदि एनआरसी लागू किया जाता है तो इससे न केवल हिंदू या मुस्लिम बल्कि आदिवासी भी प्रभावित होंगे। केंद्र सरकार ने अभी तक एनआरसी पर बातचीत नहीं की है। एनपीआर एक जनगणना है और मुझे नहीं लगता कि इससे कोई भी प्रभावित होगा क्योंकि यह हर दस साल में होता है।’
ठाकरे ने ट्वीट किया, सीएए और एनआरसी अलग हैं और एनपीआर अलग है। अगर सीएए लागू होता है तो किसी को चिंता करने की जरूरत नहीं है। एनआरसी अभी नहीं है और राज्य में लागू नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि एनपीआर राज्य में लागू होगा क्योंकि उसमें कुछ भी विवादास्पद नहीं है। ठाकरे ने कहा कि वह राज्य में एनआरसी लागू नहीं होने देंगे।
वहीं एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार का कहना है कि हमने सीएए के खिलाफ वोट किया था। पवार ने कहा, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का इसपर अपना नजरिया हो सकता है लेकिन जहां तक एनसीपी का सवाल है हमने सीएए के खिलाफ वोट दिया था।
सीएए के अलावा महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री ने भीमा कोरोगांव पर भी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा, ‘एलगार परिषद और भीमा कोरेगांव दो अलग-अलग मामले हैं। भीमा कोरेगांव मामला मेरे दलित लोगों से जुड़ा हुआ है और मामले से संबंधित जांच अभी तक केंद्र को नहीं दी गई है और इसे केंद्र को नहीं सौंपा जाएगा। केंद्र ने एल्गार परिषद् का मामले को संभाला है।’