पीड़िता कम से कम धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार की हकदार थी-इलाहाबाद हाईकोर्ट 

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Hathras Case: हाथरस मामले को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट (Allahabad High Court) ने गंभीर टिप्‍पणी की है. हाईकोर्ट ने कहा है कि पीड़िता कम से कम धार्मिक रीति-रिवाजों के अनुसार अंतिम संस्कार की हकदार थी. इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने कहा कि किसी को भी पीड़िता के चरित्र हनन के प्रयास में शामिल नहीं होना चाहिए, ठीक उसी तरह कि आरोपियों को सुनवाई के पहले दोषी नहीं ठहराया नहीं जाना चाहिए. कोर्ट ने हाथरस मामले में स्‍वत: संज्ञान लिया है. अदालत यूपी के हाथरस के एक गांव में 20 साल की दलित युवती के साथ कथित गैंगरेप और बर्बर तरीके से टॉर्चर के मामले पर सुनवाई कर रही है. युवती की बाद में दिल्‍ली के अस्‍पताल में मौत हो गई थी.

इससे पहले, पीड़ित पक्ष की वकील सीमा कुशवाहा ने सोमवार को बताया था, कि “कोर्ट का कहना है कि अगर पीड़ित परिवार की जगह कोई बहुत ही रिच पर्सन होता तो क्या इस तरीक़े से आप जला देते. चूंकि कोर्ट ने स्वतः संज्ञान लिया है, इसलिए पूरा सेंसिटिव होकर सुन रहा है.” इस पर हाथरस के डीएम ने कहा कि रात में लड़की का अंतिम संस्कार करने का फ़ैसला उनका था. दिल्ली में लड़की का शव पोस्टमॉर्टम के बाद 10 घंटे रखा रहा. गांव में भीड़ बढ़ती जा रही थी. लॉ एंड ऑर्डर बिगड़ने का खतरा था इसलिए ऐसा किया गया. इस पर कोर्ट ने पूछा कि क्या और फोर्स बढ़ाकर अंतिम संस्कार के लिए सुबह होने का इंतज़ार नहीं किया जा सकता था?

पीड़ित परिवार ने अदालत से कहा था कि उन्हें लड़की का मुंह भी नहीं देखने दिया गया और ज़बरदस्ती उसे जला दिया गया. इस पर कोर्ट ने डीएम से पूछा कि अगर वो किसी बड़े आदमी की बेटी होती तो क्या उसे इस तरह जला देते?

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