भाजपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी… ये तीनों ही दल दिल्ली नगर निगम, गुजरात और हिमाचल प्रदेश के चुनावी मुकाबले में थे। बुधवार सुबह जब एमसीडी के चुनाव नतीजे आना शुरू हुए, तब आम आदमी पार्टी ने भाजपा से जीत छीन ली। कांग्रेस तीसरे नंबर पर रही। माना जा रहा था कि आम आदमी पार्टी गुजरात में भी भाजपा का खेल बिगाड़ सकती और कांग्रेस सब जगह खाली हाथ रह सकती है, लेकिन ऐसा हुआ नहीं। जानिए दो दिन में सामने हुए तीन चुनाव नतीजों ने किस तरह सभी को मुस्कुराने की वजह दे दी है।
आम आदमी पार्टी के अच्छे दिन इसलिए हैं, क्योंकि जिस राष्ट्रीय राजधानी से उसने पहले भ्रष्टाचार विरोधी आंदोलन के बाद राजनीतिक पदार्पण किया, वहां उसने 2013 के विधानसभा चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया और 2015 और 2020 के विधानसभा चुनाव में स्पष्ट बहुमत के साथ जीत हासिल की, लेकिन एमसीडी उसकी पहुंच से दूर थी। इस बार तीन नगर निगम का एकीकरण हुआ और 272 की जगह 250 सीटों पर चुनाव हुए। 134 सीटों पर जीत के साथ ही आम आदमी पार्टी ने भाजपा से उसका वह मजबूत गढ़ छीन लिया, जो 15 साल से उसके पास था। इतना ही नहीं, गुजरात में पार्टी को करीब 13 फीसदी वोट मिले। राज्य के 41 लाख से ज्यादा मतदाताओं ने आप को वोट दिया। इस नतीजे के साथ ही आप का देश की नौवीं राष्ट्रीय पार्टी बनना तय हो गया।
आम आदमी पार्टी ने इस बार गुजरात की 182 में से 181 सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे। गुजरात में पहले चरण के मतदान से पहले उसने वहां पूरा जोर लगाया था। कई एग्जिट पोल्स भाजपा के पक्ष में थे, लेकिन फिर भी यह माना जा रहा था कि आम आदमी पार्टी उसे नुकसान पहुंचा सकती है। हालांकि, गुरुवार को जब नतीजे सामने आए तो भाजपा को मुस्कुराने की वजह मिल गई। 2002 में जब नरेंद्र मोदी पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, तब भाजपा को मिलीं 127 सीटों से भी ज्यादा सीटें इस बार मिल गईं। भाजपा 155 से ज्यादा सीटें जीत रही है। यह इस राज्य के चुनावी इतिहास में किसी भी दल को मिलीं सीटों का सर्वाधिक आंकड़ा है। भाजपा भले ही यहां 24 साल से सत्ता में हो, लेकिन 85 फीसदी सीटें जीत लेने के बाद यह राज्य में उसके सबसे अच्छे दिन कहलाएंगे।
3. हिमाचल: कांग्रेस के अच्छे दिन
जब एमसीडी में आप जीती और गुजरात में भाजपा अब तक की सबसे ज्यादा सीटें ले आई तो कांग्रेस के पास मुस्कराने की वजह हिमाचल से मिली। यहां इस बार प्रियंका गांधी के नेतृत्व में प्रचार अभियान चला। पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद उनकी पत्नी प्रतिभा सिंह ने पूरी सक्रियता दिखाई। शुरुआती रुझानों में बराबरी का मुकाबला नजर आया, लेकिन बाद में कांग्रेस ने भाजपा को बहुमत हासिल करने से रोक दिया। 2017 में महज 21 सीट जीतने वाली कांग्रेस ने इस बार 40 सीटें जीत लीं। कांग्रेस आसानी से सरकार बना सकती है, बशर्ते भाजपा निर्वाचित विधायकों में सेंध न लगा दे।
यूपी में भी भाजपा-सपा-रालोद तीनों को मुस्कराने का मौका मिला
उत्तर प्रदेश के मतदाताओं ने भी चुनाव लड़ रहे दोनों दलों को मुस्कुराने का मौका दिया। सपा मैनपुरी में जीत दर्ज करने में सफल रही। पार्टी ने मुलायम की विरासत तो बचाई ही, चाचा ने भतीजे की पार्टी में अपनी पार्टी का विलय करके सपा कार्यकर्ताओं को मुस्कुराने का मौका दे दिया। भाजपा के अच्छे दिन रामपुर से आए। जहां पार्टी को पहली बार जीत मिली। वहीं, रालोद ने खतौली सीट भाजपा से छीनकर अपने लिए खुश होने की वजह ढूंढ ली।