नई दिल्ली: Bharat Bandh: कृषि कानून (Farm law) के विरोध में किसानों के आंदोलन को ट्रेड यूनियनों और विपक्षी पार्टियों के समर्थन के बीच कल यानी मंगलवार को ‘भारत बंद’ (Bharat Bandh)के दौरान दिल्ली में फल, सब्जियों सहित कल प्रमुख सेवाओं की सप्लाई प्रभावित होने की आशंका है. गौरतलब है कि देश की राजधानी इस समय किसानों के आंदोलन का केंदबिंदु बनी हुई है और यहां हजारों की संख्या में किसान डेरा डाले हुए हैं. केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ हजारों किसान पिछले 11 दिन से आंदोलन कर रहे हैं. किसानों के अनुसार, शांतिपूर्ण भारत बंद सुबह 10 बजे से दोपहर तीन बजे तक होगा.
आंदोलन से जुड़ी 10 बातें
- भारतीय किसान यूनियन के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा, ‘विरोध करते हम यह दिखाना चाहते हैं कि हम सरकार की कुछ नीतियों को समर्थन नहीं करते हैं.’ यूनियन ने कहा है कि उनका विरोध शांतिपूर्ण है और इसी तरह जारी रहेगा.भारतीय किसान यूनियन के महासचिव हरिंदर संह लखोवाल ने इससे पहले कहा था कि किसान यूनियनों के सदस्य नेशनल हाईवे को ब्लॉक करेंगे और टो प्लाजा पर ‘कब्जा’ करेंगे.
- सीमा पर किसान नेताओं ने कई राजनीतिक दलों द्वारा उनके आंदोलन को लेकर व्यक्त किये गये समर्थन का स्वागत किया और अन्य सभी से आगे आने एवं मंगलवार के ‘भारत बंद’ का समर्थन करने का आह्वान किया.स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव के अनुसार, मंगलवार के भारत बंद में इमरजेंसी सेवाएं, शादी, एम्बुलेंस पर कोई रोक नहीं होगी. दूध, फल, सब्ज़ी आदि जैसी ज़रूरी चीजों को किसान अपनी तरफ़ से सप्लाई नहीं करेंगे, लेकिन यदि कोई ले जाना चाहेगा तो कोई रोक नहीं होगी.
- केंद्र के नए कृषि कानूनों का विरोध कर रहे हजारों किसान हरियाणा और उत्तर प्रदेश से लगती दिल्ली की सीमाओं पर डेरा डाले हुए हैं. उन्होंने चेतावनी दी कि यदि सरकार उनकी मांगें नहीं मानती है तो वे आंदोलन तेज करेंगे और दिल्ली पहुंचने वाली और सड़कें बंद कर देंगे. उन्होंने कहा है कि सरकार को तीनों कृषि कानूनों को वापस लेना चाहिए.
- स्वराज इंडिया के अध्यक्ष योगेंद्र यादव ने कहा, ‘‘ हम अपने रुख पर सदैव अडिग हैं. हमने हमेशा मांग की है कि सरकार तीनों कृषि कानूनों को वापस ले. हमने अपना रुख नहीं बदला है, हम उस पर दृढ़ हैं.”
- किसान नेता बलदेव सिंह यादव ने रविवार को संवाददाता सम्मेलन में कहा था,‘‘यह आंदोलन केवल पंजाब के किसानों का नहीं बल्कि पूरे देश का है. हम अपने आंदोलन को मजबूत बनाने जा रहे हैं और यह पहले ही पूरे देश में फैल चुका है.चूंकि, सरकार हमसे उपयुक्त ढंग से नहीं निपटने में समर्थ नहीं रही है इसलिए हमने भारत बंद का आह्वान किया है. ”
- आंदोलनकारी किसानों और सरकार के बीच अब तक पांच दौर की बात हो चुकी है, लेकिन अब कोई सर्वसम्मत समाधान नहीं निकल पाया है.
- केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि सरकार बैठक में मौजूद 40 कृषक नेताओं से उनकी प्रमुख चिंताओं पर ठोस सुझाव चाहती थी. उन्होंने उम्मीद जताई कि उनके सहयोग से समाधान निकाला जाएगा.
- पांचवें दौरे की शनिवार को हुई बैठक में कृषि मंत्री तोमर ने किसान नेताओं से बुजुर्गों, महिलाओं और बच्चों को प्रदर्शन स्थलों से घर वापस भेजने की अपील की थी. तोमर ने सरकार की ओर से वार्ता की अगुवाई की. इसमें रेल, वाणिज्य और खाद्य मंत्री पीयूष गोयल तथा वाणिज्य राज्य मंत्री सोम प्रकाश ने भी भाग लिया.
- बैठक के बाद कृषि मंत्री ने कहा कि सरकार ने किसानों को आश्वासन दिया है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर खरीद जारी रहेगी और मंडियों को मजबूत किया जाएगा. तोमर ने कहा, ‘‘हम कुछ प्रमुख मुद्दों पर किसान नेताओं से ठोस सुझाव चाहते थे, लेकिन आज की बैठक में ऐसा नहीं हुआ. हम नौ दिसंबर को एक बार फिर मिलेंगे.
- सिंघु बॉर्डर पर इकट्ठा हुए किसान यहीं अपना खाना-पीना-रहना कर रहे हैं. न्यूज एजेंसी ANI से एक किसान ने कहा, ‘सरकार को हमारी समस्याएं सुनने और कानून में कमियां देखने में सात महीने लग गए.’ ये किसान पिछले हफ्ते बुधवार से यहां बैठे हुए हैं और वो कृषि कानून वापस लिए जाने तक यहां बैठने को तैयार हैं.