कोरोना वायरस का कहर दिनोंदिन देश में बढ़ता जा रहा है। इस वायरस से सरकारी आंकड़ों के मुताबिक अब तक 17 लोगों की मौत हो चुकी है वहीं करीब 724 लोग संक्रमित हैं। अभी तक इस वायरस को रोकने के लिए कोई दवा नहीं बनी है। इसी बीच कोरोना से होने वाली बीमारी में काम आने वाली दवा ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ की जरूरत को देखते हुए सरकार ने इसकी बिक्री और वितरण को कानूनी नियंत्रण में ले लिया है।
सरकार ने कोरोना के इलाज एवं बचाव में काम आने वाली दवा ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ की अनिवार्य जरूरत को देखते हुए किसी भी आपात स्थिति में इसकी आपूर्ति को बहाल रखने के लिए इसकी बिक्री और वितरण को कानूनी नियंत्रण में लेकर सीमित कर दिया है।
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय की ओर से गुरुवार को जारी अधिसूचना में ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ को कोरोना के इलाज एवं बचाव में अनिवार्य जरूरत मानते हुए कहा गया है कि किसी भी प्रकार की संभावित आपात स्थिति को देखते हुए इसकी बिक्री और वितरण को कानून द्वारा नियंत्रित करना जरूरी हो गया है।
मंत्रालय ने शुक्रवार को स्पष्ट किया कि ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ की बिक्री और वितरण पर कानूनी नियंत्रण गुरुवार को अधिसूचना जारी होने के साथ ही लागू हो गया है। अधिसूचना के अनुसार केन्द्र सरकार का यह आश्वासन हो गया है कि ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ दवा कोरोना वायरस महामारी के कारण उत्पन्न होने वाली आपातकालीन अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए आवश्यक है।
अधिसूचना में स्पष्ट किया गया है कि लोकहित में ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ और इससे बनने वाले अन्य औषधीय उत्पादों के विक्रय एवं वितरण को नियंत्रित करने के लिये ‘खुदरा बिक्री औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियम 1945’ के तहत निर्दिष्ट शर्तों के दायरे में लाया गया है। इसका मकसद इस दवा की बिक्री एवं वितरण संबंधी दुरुपयोग को रोकना है।
गौरतलब है कि भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कोरोना के संदिग्ध एवं संक्रमित मरीजों के इलाज में लगे चिकित्साकर्मियों के लिए भी ‘हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन’ दवा के इस्तेमाल को बचाव के लिए जरूरी बताया है। सरकार ने आपात स्थिति में इस दवा की आपूर्ति को बरकरार रखने के लिए आईसीएमआर द्वारा निर्धारित प्रोटोकॉल के तहत भारत के औषधि महानियंत्रक (डीजीसीआई) की अनुशंसा पर इस दवा के वितरण और बिक्री को नियंत्रित करने का फैसला किया है।