हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने राज्य के छ: जिलों में एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम स्वीकृति प्रदान की

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हरियाणा के मुख्यमंत्री श्री मनोहर लाल ने राज्य के छ: जिलों नामत: हिसार, भिवानी, महेंद्रगढ़, रेवाड़ी, अंबाला और यमुनानगर में एकीकृत वाटरशेड प्रबंधन कार्यक्रम (आईडब्ल्यूएमपी) के तहत 13 परियोजनाओं के कार्यान्वयन के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान की है।

इन परियोजनाओं के तहत हरियाणा में 71.13 करोड़ रुपये की लागत से 76 सूक्ष्म वाटरशेड स्थापित किए जाएंगे। इन 13 परियोजनाओं को अगले सात वर्षों में क्रियान्वित किया जाएगा। आईडब्ल्यूएमपी का मुख्य उद्देश्य परियोजना क्षेत्रों में मिट्टी, जल एवं वनस्पति क्षेत्र जैसे अवक्रमित प्राकृतिक संसाधनों का दोहन, संरक्षण और विकास करके पारिस्थितिक संतुलन को बहाल करना है।

एक सरकारी प्रवक्ता ने आज यह जानकारी देते हुए बताया कि भिवानी जिले में तीन एकीकृत वाटरशेड परियोजनाओं के तहत कुल 14 सूक्ष्म वाटरशेड स्थापित किए जाएंगे। इनमें जिला के लोहारू और बहल खंड में बड़दू मुगल, बड़दू धीरजा, भूडेढ़ा, बिदनोई, लाडवा, बैरान, ढाणी लछमन, सोरडा जादिद, सोरडा कादिम, नांगल-गरनपुरा, ढाणा जोगी, सेहर, बराहलू तथा दमकौरा में 10 सूक्ष्म वाटरशेड स्थापित किए जाएंगे। इसके अलावा, दादरी-॥ में दुधवा, दातौली, दाढी छिल्लर, चिडिया, नोसवा तथा अबीदपुरा में 4 सूक्ष्म वाटरशेड स्थापित किए जाएंगे। इन पर लगभग 15.95 करोड़ रुपये की राशि खर्च होगी।

उन्होंने बताया कि महेंद्रगढ़ जिले में दो एकीकृत वाटरशेड परियोजनाओं के तहत कुल 20 सूक्ष्म वाटरशेड स्थापित किए जाएंगे। इनमें  जिला के कनीना खंड में खरकड़ा, सेहलंग, पोटा, कोका, झाडली, चितरौली, धनौदा, कैमला, काकरोला, चेलावास व तलवाना में 11 सूक्ष्म वाटरशेड स्थापित किए जाएंगे। इसके अतिरिक्त, नारनौल खंड में धरसोन तथा निवाज नगर, हाजीपुर व बास किराडोद, माई, आजमनगर व हुदिना व फैजाबाद, रामपुरा, लहरोडा एवं सिलारपूर मेहता, अबदुल नगर, मंडलाना, महरमपुर तथा बोपरली में नौ सूक्ष्म वाटरशेड स्थापित किए जाएंगे। इन परियोजनाओं पर 10.73 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च होगी।

प्रवक्ता ने बताया कि यमुनानगर जिले में दो एकीकृत वाटरशेड परियोजनाओं के तहत कुल 14 सूक्ष्म वाटरशेड स्थापित किए जाएंगे। इन कुल 14 परियोजनाओं में से 7 सूक्ष्म वाटरशेड दारपुर, दारपुर फॉरेस्ट, जट्टांवाला, जट्टांवाला और बनियावाला, चौरपुर मंगल सिंह, नाथनपुर एवं शहजादवाला फॉरेस्ट, सहाबुद्दीन पुर खुर्द एवं काला बचोन, शहजादवाला और मगेवाला, मुकरमपुर, दौलतपुर, मोहबलीवाला, चिक्कन एवं  चिक्कन फॉरेस्ट, कासंली एवं कासंली फॉरेस्ट में और 7 सूक्ष्म वाटरशेड खिल्लांवाला, भागपत, भागपत फॉरेस्ट, भांगरा और भांगरी, खिल्लांवाला फॉरेस्ट, मुजफत कला, थिमियो, करकौली बहलोलपुर, टिब्बी आर्या, हाफिजपुर और हाफिजी में स्थापित किए जाएंगे। इन पर 8.91 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च होगी।

प्रवक्ता ने बताया कि हिसार जिले में तीन एकीकृत वाटरशेड परियोजनाओं के तहत आठ सूक्ष्म वाटरशेड स्थापित किए जाएंगे। सहरवा, तलवंडी रुक्का, तलवंडी बादशाहपुर में तीन सूक्ष्म वाटरशेड, मोहब्बतपुर, मोदा खेड़ा, सिसवाल (धाणी मालियां) में तीन सूक्ष्म वाटरशेड और मात्तरशाम, न्यौलीकलां, शाहपुर, मिग्नी खेड़ा, जाखोद-खेड़ा, मालापुर, न्यौली खुर्द और काजलां में दो सूक्ष्म वाटरशेड स्थापित किए जाएंगे। इन पर 17.39 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च होगी।

उन्होंने बताया कि रेवाड़ी जिले में दो एकीकृत वाटरशेड परियोजनाओं के तहत 14 सूक्ष्म वाटरशेड स्थापित किए जाएंगे। इनमें जांट सैरावास, भुरथल जाट, गंगायाचाजट, बुडाना, बुडानी, तुर्कियावास फादनी, भगवानपुर, दरोली, डोखिया एवं जांट में सात सूक्ष्म वाटरशेड स्थापित किए जाएंगे। इसी प्रकार, बलधान कलां, दारौली, बलधान खुर्द, गुडियानी, नांगल तथानी, परखोत्तमपुर, मुसेपुर एवं मुबारकपुर में सात सूक्ष्म वाटरशेड स्थापित किए जाएंगे। इन पर 12.10 करोड़ रुपये से अधिक की राशि खर्च होगी। इसके अतिरिक्त, अंबाला जिले में एक एकीकृत वाटरशेड परियोजनाओं के तहत पनिलासा, डेहर, गदौली, बडख़ेड़ी, नगला एवं थारवा में छ: सूक्ष्म वाटरशेड स्थापित किए जाएंगे। इन पर 6.06 करोड़ रुपये की राशि खर्च होगी।

उन्होंने बताया कि इन जिलों के क्षेत्र की समस्या के समाधान और क्षेत्र के सतत विकास के लिए वाटरशेड प्रबंधन की आवश्यकता है। हिसार, भिवानी, महेंद्रगढ़, और रेवाड़ी जिलों का परियोजना क्षेत्र मुख्य रूप से रेतीले दोमट से रेतीले बलुई मिट्टी का है जो खराब ऑर्गेनिक कार्बन और कम जल धारण क्षमता के साथ असमतल है।

इन जिलों में वार्षिक वर्षा 300-550 मिलीमीटर के बीच होती है जो प्राकृतिक रूप से  अत्यधिक अनियमित है और इन जिलों में सुनिश्चित सिंचाई की कमी के कारण आमतौर पर फसलों और खेती की पसंद सीमित हो जाती है। इन सभी कारकों ने गहरे और खराब गुणवत्ता वाले भूजल, अत्यधिक भूकटाव और फसलों की खराब उत्पादकता क्षेत्र ने मिलकर लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति को प्रभावित किया है।

प्रवक्ता ने बताया कि अंबाला और यमुनानगर जिलों के परियोजना क्षेत्र मुख्य रूप से रेतीली मिट्टी से रेतीले दोमट मिट्टी के हैं जिनकी उबड़-खाबड़ है और इन दोनों जिलों में 1000-1200 मिलीमीटर तक वार्षिक वर्षा से होती है। हालांकि, जिला यमुनानगर में वर्ष 2010 के दौरान 1538 मिलीमीटर और अंबाला जिले में वर्ष 2000 में 1492 मिलीमीटर वर्षा रिकार्ड की गई।

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