तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा आज लद्दाख पर हैं। वे वहां एक माह तक रहेंगे। इस यात्रा से चीन चिढ़ गया है। इस पर भारत नेदपो टूक जवाब दिया है। भारत ने दलाई लामा की यात्रा पर स्पष्ट किया कि तिब्बती आध्यात्मिक नेता दलाई लामा की लद्दाख यात्रा ‘पूरी तरह से धार्मिक’ है और किसी को भी इस पर कोई आपत्ति नहीं होनी चाहिए। एक शीर्ष सरकारी पदाधिकारी ने शुक्रवार को यह जानकारी दी। दलाई लामा आज शुक्रवार को चीन की सीमा से लगे केंद्र शासित प्रदेश पहुंच रहे हैं। वहां उनके लगभग एक महीने तक रहने का कार्यक्रम है। दलाई लामा 1959 में तिब्बत से पलायन के बाद से भारत में रह रहे हैं।
इस महीने की शुरुआत में चीन ने दलाई लामा को उनके 87वें जन्मदिन पर बधाई देने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की आलोचना करते हुए कहा था कि भारत को चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप करने के लिए तिब्बत से संबंधित मुद्दों का इस्तेमाल करना बंद कर देना चाहिए। वहीं भारत ने चीन की आलोचना को खारिज करते हुए कहा था कि दलाई लामा देश के सम्मानित अतिथि हैं। पिछले दो वर्षों में हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला के बाहर दलाई लामा की यह पहली यात्रा है। दलाई लामा ने गुरुवार को कहा था कि चीन में ज्यादातर लोग अब यह महसूस करने लगे हैं कि वह ‘स्वतंत्रता’ नहीं बल्कि तिब्बती बौद्ध संस्कृति की सार्थक स्वायत्तता और उसके संरक्षण के बारे में मांग कर रहे हैं।
पदाधिकारी ने कहा, ‘दलाई लामा इससे पहले भी लद्दाख का दौरा कर चुके हैं। उन्होंने तवांग (अरुणाचल प्रदेश) का भी दौरा किया था, लेकिन महामारी के कारण पिछले दो वर्षों में वह कोई यात्रा नहीं कर सके।’