मध्यप्रदेश ही क्यों ?,राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में भी गुल खिलने वाले हैं-सुन्दर पाल सिंह

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मध्यप्रदेश ही क्यों ?
अभी तो जल्द ही राजस्थान, हरियाणा और पंजाब में भी गुल खिलने वाले हैं।
सिंधिया के बाद हो सकता है , राजस्थान में भी एक युवा कांग्रेस नेता इसी राह पर चल सकते हैं। और जल्द ही वहाँ भी बीजेपी की सरकार बन सकती है।
और हरियाणा में भी ऐसी ही सम्भावना है कि एक बड़े नेता जल्द ही दो – तिहाही से ज्यादा विधायकों के साथ कांग्रेस छोड़ एक नए दल का गठन कर दे। ऐसा इसलिए भी सम्भव है कि हरियाणा में कांग्रेस का कोई संगठन तो है नही। इसलिए माननीय सुप्रीम कोर्ट के फैंसले अनुसार ,जिसमें अगर एक पार्टी टूटती है तो टूटने वाले दल को नए दल के रुप मे मान्यता तभी मिलती है जब दो तिहाही विधायकों के साथ पार्टी संगठन भी 2 तिहाही की सँख्या में नए दल के साथ जाए। ऐसे में विधानसभा अध्यक्ष उन्हें नए दल के रूप में मान्यता दे सकता है। इस प्रकार प्रक्रिया पूर्ण हो तो उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय में भी विधानसभा अध्यक्ष का निर्णय उचित ही माना जायेगा।
मतलब ये काम अगर जल्द हो गया तो राज्यसभा में अपनी सीट पक्की मान बैठे नेताओ को हरियाणा से कुछ हासिल नही होगा।
ठीक वैसा ही कमोबेश पंजाब में भी हो सकता है।
कैप्टेन अमरेंद्र सिंह से ज्यादातर विधायक नाराज हैं।
कई तो खुलकर मुख्यमंत्री की कार्यशैली के खिलाफ बोल रहे हैं।
बारूद तैयार ,केवल चिंगारी की जरुरत है। धमाका कभी भी हो सकता है।
सिधू चुप है। बाजवा बहुत मुखर हैं। विधायक परेशान और बेचैन है।
लगभग सभी को लगता है कि जो माहौल है पंजाब में। वही चलता रहा तो ,कोई भी दोबारा जीतकर विधानसभा में नही पहुंचेगा।
सभी एक नई दिशा में जाने के लिये आतुर हैं।

वैसे भी जो काम कांग्रेस करती रही। वही काम अब धन – बल पर नरेंद्र मोदी और अमित शाह कर रहे है।
सरकार बनाने और गिराने के लिए ये दोनों किसी हद तक भी जा सकते है।
लगता है अब देश से लोकतंत्र खात्मे की और लठतंत्र और धनतंत्र का बोलबाला हो गया।
न अब कोई जनता के फैंसले का सम्मान
न जनमत का सम्मान।
अब तो कुर्सी और माल चाहिए।
भारतीय लोकतंत्र अब आपातकालीन समय से भी ज्यादा बुरे दौर से गुजर रहा है।
पर याद रखो । कांग्रेस भी इमरजेंसी लगाकर लोकतंत्र को खत्म करना चाहती थी। पर हुआ क्या? आज किस हालात में है कांग्रेस?
बीजेपी का इससे भी बुरा हाल होगा। और इसके नेताओ को लोग सड़कों पर दौड़ा दौड़ाकर पिटेंगे।
ये होगा। क्योंकि अँधकार को छँटना ही है। उजाले को आना ही है।
वो दौर भी चला गया था, इस दौर को भी जाना है।
एक दिन आएगा कि देश से लूटेरों का कब्जा हटेगा।
कमेरों का दिन आएगा।

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